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Saturday, August 6, 2011

दूहा अर उलटा दूहा

दूहा 

सावण आयो सायबा, दूर देश मत जाय !
तन भीज्यो बरसात में, मन में लागी लाय !!
सावण घणो सुहावणो, हरियो भरियो रूप !
निरखूं म्हारो सायबो, सावण घणो कुरूप !!
साजन उभा सामने, निरखे धण रो रूप !
बादलियाँ रे बीच में, मधुरी मधुरी धूप !!
जोगेश्वर गर्ग
उलटा दूहा
साजन घरां पधारिया, छोड़ परायो देश !
सावण बरसा बादली, अतरी अरज विशेष !!
हिवडे हरख विशेष व्हे, जद साजन घर आय !
मन री मौजां मर रही, सावण सूखो जाय !!
साजन सैणां समझग्या, आया छोड़ विदेश !
सावण तू भी समझ जा, बरसा मेह विशेष !!
जोगेश्वर गर्ग